श्रावण मास

श्रावण मास यह महीना भगवान शिव को अत्यन्त प्रिय हैं, पूरे माह धार्मिक रीति-रिवाजों का ताता लगा रहता हैं | कई विशेष त्यौहार श्रावण के इस महीने में मनाये जाते हैं | हमारे देश की परम्परायें हमें हमेशा ईश्वर से जोड़ती हैं, फिर उसमें एक दिन का त्यौहार हो या महीने भर का जश्न | सभी का अपना एक महत्व …

मलमास

मलमास – एक दृष्टि में सनातन धर्म परम्परा में किसी भी शुभकार्य को करने से पहले मुहूर्त आदि का विशेष महत्त्व माना गया है, फिर चाहे विवाह हो, मुंडन, सगाई या फिर गृह प्रवेश जैसे अन्य शुभ कार्य । वहीं कुछ अवधि ऐसी भी होती हैं, जब इन शुभकार्यों को करना निसिद्ध माना गया है । ऐसा ही महीना है, …

“आषाढस्य प्रथम दिवसे”

“आषाढस्य प्रथम दिवसे” तस्मिन्नद्रौ कतिचिदबलाविप्रयुक्त: स कामी, नीत्वा मासान्कनकवलयभ्रंशरिक्तप्रकोष्ठ: । आषाढस्य प्रथम दिवसे मेघमाश्लिष्टसानुं, वप्रक्रीडापरिणतगजप्रेक्षणीयं ददर्श । कुबेर के उस सेवक (हेममाली) यक्ष की नयी-नयी शादी हुई थी, सबेरे उठने में देर हो जाती थी | इसलिए वह रात्रि को ही कमल के पुष्प तोड़ कर रख लेता और जब कुबेर शिव-पूजा पर बैठते तब फूलों की टोकरी पहुंचा देता …

वर्तमाने स्मृतिशास्त्राणां धर्मशास्त्राणाञ्च प्रासङ्गिकता

वर्तमाने स्मृतिशास्त्राणां धर्मशास्त्राणाञ्च प्रासङ्गिकता तिष्ठत्येकाऽवधारणा भारते सम्प्रति यत् कर्मकाण्डपूजनाद्येकमेव धर्म: तथा च एताभ्यामुभाभ्यां युक्तशास्त्रमेव धर्मशास्त्रमिति । परं प्राचीनैः धर्मशास्त्रकारैः स्मृतिकारश्चाभिहितं वर्तते यत् – धर्मनाम कर्तव्यनियमश्चेति । शक्यतैव वक्तुं लोकः यं धारयति वा लोक: येन धृतो भवति स धर्म उक्तं महाभारते – “धारणाद्धर्मो इत्याहुः धर्मो धारयेत् प्रजा ” । (महाभारत) “चोदना लक्षणो अर्थो धर्म :” । (जैमिनिन्यायमाला) तथा च धर्मस्य यत् …

भारवेरर्थगौरवम्

संस्कृतवाङ्मये प्रथितमहाकवीनां वैशिष्ट्यमभिलक्ष्य पद्यमेतद् गीयते – उपमा कालिदासस्य भारवेरर्थगौरवम् । दण्डिनः पदलालित्यं माघे सन्ति त्रयो गुणाः ।। महाकविभारवेः प्रसिद्धिरर्थगौरवाय वर्तते । किं नाम अर्थगौरवम् ? कथं च एतदुपकरोति महाकाव्यम् ? कथं च गुणेन एतेन अद्भुतं यशो भारवे: ? इत्येतदत्र विवेच्यते । अर्थगौरवं नाम भावगाम्भीर्यं सद्भावभूषित्वं च, सुदीर्घमपि पन्थानं स्वल्पेनैव प्रयासेन परिणमति । भावमूलकत्वाद् महाकाव्यस्य भावभूषया च काव्यगौरवस्य समभिवृद्धेरर्थगौरवं महदुपकारकं महाकाव्यस्य …

अभिज्ञानशाकुन्तले श्लोकचतुष्टयम्

कविता-वनिता-विलासः, वाणीपादपद्मविसजीविरसिकराजहंसः महाकवि-कालिदासः संस्कृतसाहित्यजगति देदीप्यमानदीपशिखेव राजते। अतः उच्यते- “KALIDS THE SHAKESPEARE OF INDIA.” पुनश्च – “पुष्पेषु जाती नगरेषु काशी नारीषु रम्भा पुरूषेषु विष्णुः । नदीषु गङ्गा क्षितिषेषु रामः काव्येषु माघः कविकालिदासः”॥ इति॥ कविकुलगुरुकालिदासः संस्कृतसाहित्याकाशस्य उज्ज्वलतारकासदृशः अस्ति । तस्य पीयूषस्त्रविणी अमोधवर्षिणी लेखनीतः नाटयत्रयं यथा – मालविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्वशीयम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम्, महाकाव्यद्वयं-कुमारसम्भवम्, रघुवंशम्, गीतिकाव्यद्वयं – ऋतुसंहारः, मेघदूतम्, इति सृजति । एतासु रचनासु अभिज्ञानशाकुन्तलम् सर्वश्रेष्ठं …

दशा माता व्रत

शीतलाष्टमी (बसौडा) विशेष 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ व्रत महात्म्य एवं विधि 〰️〰️🌼〰️🌼〰️〰️ यह व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में अष्टमी या लोकाचार में होली के बाद पड़ने वाले पहले सोमवार अथवा गुरुवार को भी किया जाता है। शुक्रवार को भी इसके पूजन का विधान है, परंतु रविवार, शनिवार अथवा मंगलवार को शीतला का पूजन न करें। इन वारों में यदि अष्टमी तिथि …

शमी वृक्ष (खेजड़ी) का महत्व एवं पूजन विधि

शमी (खेजड़ी) वृक्ष का महत्त्व एवं पूजन विधि 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ शमी वृक्ष की पूजा करने के नियम 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ स्नानोपरांत साफ कपड़े धारण करें। फिर प्रदोषकाल में शमी के पेड़ के पास जाकर सच्चे मन से प्रमाण कर उसकी जड़ को गंगा जल, नर्मदा का जल या शुद्ध जल चढ़ाएं। उसके बाद तेल या घी का दीपक जलाकर उसके नीचे अपने शस्त्र …